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Tuesday, July 3, 2012
Monday, July 2, 2012
वेबसाइट पर मिलेगी बीमा संबंधी हर जानकारी
- बीमा नियामक इरडा ने एक वेबसाइट लांच की है, जिस पर लोगों को बीमा पॉलिसी खरीदने के बारे में हर जानकारी मिल सकेगी। इरडा ने बयान में कहा है कि www.policyholder.gov.in पर पॉलिसी धारकों और अन्य लोगों को उपयोगी जानकारी मिल सकेगी। इस पर लोगों को बीमा खरीदने, स्टैंडर्ड क्लेम प्रोसीजर आदि के बारे में जानकारी मिल सकेगी। इसके अलावा पॉलिसी धारकों को यह भीपता चल सकेगा कि वे क्या करें और क्या नहीं करें। वेबसाइट उपभोक्ताओं के लिए अलर्ट भी जारी करेगी। मालूम हो कि 1956 में बीमा क्षेत्रके राष्ट्रीयकरण के बावजूद 2010 तक 5.1 फीसदी आबादी ने ही बीमा कराया है। 2001 में 2.71 फीसदी आबादी ने बीमा करारखा था। देश में अभी 24 जीवन बीमा और 27 गैर जीवन बीमा कंपनियां मौजूद हैं।
Saturday, January 28, 2012
वसंत पंचमी -सरस्वती जयंती
सरस्वती वाणी, विद्या, ज्ञान-विज्ञान एवं कला-कौशल आदि की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। वे प्रतीक हैं मानव में निहित उस चैतन्य शक्ति की, जो उसे अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर अग्रसर करती है। सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में सरस्वती के दो रूपों का दर्शन होता है- प्रथम वाग्देवी और द्वितीय सरस्वती। इन्हें बुद्धि (प्रज्ञा) से संपन्न, प्रेरणादायिनी एवं प्रतिभा को तेज करने वाली शक्ति बताया गया है। ऋग्वेद संहिता के सूक्त संख्या 8/100 में वाग्देवी की महिमा का वर्णन किया गया है। ऋग्वेद संहिता के दशम मंडल का 125वां सूक्त पूर्णतया वाक् (वाणी) को समर्पित है। इस सूक्त की आठ ऋचाओं के माध्यम से स्वयं वाक्शक्ति (वाग्देवी) अपनी सामर्थ्य, प्रभाव, सर्वव्यापकता और महत्ता का उद्घोष करती हैं। वाणी का महत्व : बृहदारण्यक उपनिषद् में राजा जनक महर्षि याज्ञवल्क्य से पूछते हैं- जब सूर्य अस्त हो जाता है, चंद्रमा की चांदनी भी नहीं रहती और आग भी बुझ जाती है, उस समय मनुष्य को प्रकाश देने वाली कौन-सी वस्तु है? ऋषि ने उत्तर दिया- वह वाक् (वाणी) है। तब वाक् ही मानव को प्रकाश देता है। मानव के लिए परम उपयोगी मार्ग दिखाने वाली
शक्ति वाक् (वाणी) की अधिष्ठात्री हैं भगवती सरस्वती। छांदोग्य उपनिषद् (7-2-1) के अनुसार, यदि वाणी का अस्तित्व न होता तो अच्छाई-बुराई का ज्ञान नहीं हो पाता, सच-झूठ का पता न चलता, सहृदय और निष्ठुर में भेद नहीं हो पाता। अत: वाक् (वाणी) की उपासना करो। ज्ञान का एकमात्र अधिष्ठान वाक् है। प्राचीनकाल में वेदादि समस्त शास्त्र कंठस्थ किए जाते रहे हैं। आचार्यो द्वारा शिष्यों को शास्त्रों का ज्ञान उनकी वाणी के माध्यम से ही मिलता है। शिष्यों को गुरु-मंत्र उनकी वाणी से ही मिलता है। वाग्देवी सरस्वती की आराधना की प्रासंगिकता आधुनिक युग में भी है। मोबाइल द्वारा वाणी (ध्वनि) का संप्रेषण एक स्थान से दूसरे स्थान होता है। ये ध्वनि-तरंगें नाद-ब्रंा का ही रूप हैं। वसंतपंचमी है वागीश्वरी जयंती : जीभ सिर्फ रसास्वादन का माध्यम ही नहीं, बल्कि वाग्देवी का सिंहासन भी है। देवी भागवत के अनुसार, वाणी की अधिष्ठात्री सरस्वती देवी का आविर्भाव श्रीकृष्ण की जिह्वा के अग्रभाग से हुआ था। परमेश्वर की जिह्वा से प्रकट हुई वाग्देवी सरस्वती कहलाई। अर्थात वैदिक काल की वाग्देवी कालांतर में सरस्वती के नाम से प्रसिद्ध हो गई। ग्रंथों में माघ शुक्ला पंचमी (वसंत पंचमी) को वाग्देवी के प्रकट होने की तिथि माना गया है। इसी कारण वसंत पंचमी के दिन वागीश्वरी जयंती मनाई जाती है, जो सरस्वती-पूजा के नाम से प्रचलित है। वाणी की महत्ता पहचानो : वाग्देवी की आराधना में छिपा आध्यात्मिक संदेश है कि आप जो भी बोलिए, सोच-समझ कर बोलिए। हम मधुर वाणी से शत्रु को भी मित्र बना लेते हैं, जबकि कटुवाणी अपनों को भी पराया बना देती है। वाणी का बाण जिह्वा की कमान से निकल गया, तो फिर वापस नहीं आता। इसलिए वाणी का संयम और सदुपयोग ही वाग्देवी को प्रसन्न करने का मूलमंत्र है। जब व्यक्ति मौन होता है, तब वाग्देवी अंतरात्मा की आवाज बनकर सत्प्रेरणा देती हैं।
शक्ति वाक् (वाणी) की अधिष्ठात्री हैं भगवती सरस्वती। छांदोग्य उपनिषद् (7-2-1) के अनुसार, यदि वाणी का अस्तित्व न होता तो अच्छाई-बुराई का ज्ञान नहीं हो पाता, सच-झूठ का पता न चलता, सहृदय और निष्ठुर में भेद नहीं हो पाता। अत: वाक् (वाणी) की उपासना करो। ज्ञान का एकमात्र अधिष्ठान वाक् है। प्राचीनकाल में वेदादि समस्त शास्त्र कंठस्थ किए जाते रहे हैं। आचार्यो द्वारा शिष्यों को शास्त्रों का ज्ञान उनकी वाणी के माध्यम से ही मिलता है। शिष्यों को गुरु-मंत्र उनकी वाणी से ही मिलता है। वाग्देवी सरस्वती की आराधना की प्रासंगिकता आधुनिक युग में भी है। मोबाइल द्वारा वाणी (ध्वनि) का संप्रेषण एक स्थान से दूसरे स्थान होता है। ये ध्वनि-तरंगें नाद-ब्रंा का ही रूप हैं। वसंतपंचमी है वागीश्वरी जयंती : जीभ सिर्फ रसास्वादन का माध्यम ही नहीं, बल्कि वाग्देवी का सिंहासन भी है। देवी भागवत के अनुसार, वाणी की अधिष्ठात्री सरस्वती देवी का आविर्भाव श्रीकृष्ण की जिह्वा के अग्रभाग से हुआ था। परमेश्वर की जिह्वा से प्रकट हुई वाग्देवी सरस्वती कहलाई। अर्थात वैदिक काल की वाग्देवी कालांतर में सरस्वती के नाम से प्रसिद्ध हो गई। ग्रंथों में माघ शुक्ला पंचमी (वसंत पंचमी) को वाग्देवी के प्रकट होने की तिथि माना गया है। इसी कारण वसंत पंचमी के दिन वागीश्वरी जयंती मनाई जाती है, जो सरस्वती-पूजा के नाम से प्रचलित है। वाणी की महत्ता पहचानो : वाग्देवी की आराधना में छिपा आध्यात्मिक संदेश है कि आप जो भी बोलिए, सोच-समझ कर बोलिए। हम मधुर वाणी से शत्रु को भी मित्र बना लेते हैं, जबकि कटुवाणी अपनों को भी पराया बना देती है। वाणी का बाण जिह्वा की कमान से निकल गया, तो फिर वापस नहीं आता। इसलिए वाणी का संयम और सदुपयोग ही वाग्देवी को प्रसन्न करने का मूलमंत्र है। जब व्यक्ति मौन होता है, तब वाग्देवी अंतरात्मा की आवाज बनकर सत्प्रेरणा देती हैं।
Tuesday, December 13, 2011
ONE ROLL NO. FOR ALL SEMESTER :CDLU
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की तर्ज पर चौधरी देवीलाल यूनिवर्सिटी ने भी स्नातक व स्नातकोत्तर में विद्यार्थियों को पूरे कोर्स के दौरान एक ही रोल नंबर कम रजिस्ट्रेशन नंबर जारी करने का निर्णय लिया है।नौ दिसंबर से शुरू हुई स्नातकोत्तर कोर्सों की प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा दे रहे विद्यार्थियों को यूनिवर्सिटी ने पूर्व में रोल नंबर कम रजिस्ट्रेशन नंबर जारी किए थे। अब पूरे कोर्स के दौरान विद्यार्थियों का यही रोल नंबर चलेगा। इससे विद्यार्थियों और अधिकारियों को आसानी होगी। सीडीएलयू से पहले सिरसा और फतेहाबाद जिले के 46 कॉलेज कुरुक्षेत्र से संबद्ध थे। केयूके ने नए सत्र से पूरे कोर्स के लिए एक ही रोल नंबर जारी करने की योजना बनाई थी। इसी बीच जुलाई में दोनों
जिलों के कॉलेज सीडीएलयू से संबद्ध कर दिए गए। सीडीएलयू ने इस योजना पर काम करते हुए नए सत्र से एनरोल हुए सभी 11525 विद्यार्थियों को 11 अंकों के रोल नंबर कम रजिस्ट्रेशन नंबर जारी किए। ॥इस बार से एनरोल हुए 11525 विद्यार्थियों को रोल नंबर कम रजिस्ट्रेशन नंबर जारी किए गए थे। अब हर साल परीक्षा विद्यार्थियों का रोल नंबर नहीं बदलेगा। परीक्षा से पहले एडमिट कार्ड जरूर जारी किए जाएंगे। एक रोल नंबर होने से विद्यार्थियों का रिकार्ड आदि जांच करने, खोजने व प्रशासनिक कार्यों में बहुत सुविधा होती है।ञ्जञ्ज डॉ. प्रवीन अघमकर, प्रोफेसर व कंट्रोलर ऑफ एग्जामिनेशन, सीडीएलयू
जिलों के कॉलेज सीडीएलयू से संबद्ध कर दिए गए। सीडीएलयू ने इस योजना पर काम करते हुए नए सत्र से एनरोल हुए सभी 11525 विद्यार्थियों को 11 अंकों के रोल नंबर कम रजिस्ट्रेशन नंबर जारी किए। ॥इस बार से एनरोल हुए 11525 विद्यार्थियों को रोल नंबर कम रजिस्ट्रेशन नंबर जारी किए गए थे। अब हर साल परीक्षा विद्यार्थियों का रोल नंबर नहीं बदलेगा। परीक्षा से पहले एडमिट कार्ड जरूर जारी किए जाएंगे। एक रोल नंबर होने से विद्यार्थियों का रिकार्ड आदि जांच करने, खोजने व प्रशासनिक कार्यों में बहुत सुविधा होती है।ञ्जञ्ज डॉ. प्रवीन अघमकर, प्रोफेसर व कंट्रोलर ऑफ एग्जामिनेशन, सीडीएलयू
Sunday, December 4, 2011
STATISTICS OF HTET 2011
आखिर इंतजार की घडि़यां समाप्त हुई। शिक्षा बोर्ड ने हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा-2011 का परिणाम घोषित कर दिया है। परिणाम एक बार फिर निराशाजनक रहा है। कुल 4 लाख 12 हजार 643 परीक्षार्थियों में से केवल 71 हजार 117 ही पास हो पाए हैं। शिक्षा बोर्ड के बोर्ड सचिव चंद्रप्रकाश ने बताया कि कैटेगरी एक अर्थात कक्षा पहली से पांचवीं के अध्यापकों की श्रेणी में 1,66,393 परीक्षार्थी प्रविष्ट हुए थे। इनमें से 33,052 उत्तीर्ण हुए हैं। इनका पास प्रतिशत 19.86 रहा है। इनमें 13,303 पुरुष और 19,749 महिला परीक्षार्थी शामिल हैं। कैटेगरी-2 अर्थात छठी कक्षा से आठवीं कक्षा के अध्यापकों की श्रेणी में 1,57,624 परीक्षार्थी प्रविष्ट हुए थे। इनमें से 24,766 उत्तीर्ण हुए हैं। इनका पास प्रतिशत 15.71 रहा है। इनमें 10,485 पुरुष और 14,281 महिला परीक्षार्थी शामिल हैं। कैटेगरी-3 अर्थात लेक्चरर वर्ग में 88,626 परीक्षार्थी शामिल हुए। इनमें से 13,299 उत्तीर्ण हुए हैं। इनका पास प्रतिशत 15.01 रहा है। इनमें 4,961 पुरुष और 8,338 महिला परीक्षार्थी शामिल हैं। बोर्ड सचिव ने बताया कि
यह परिणाम 2 दिसंबर को शाम पांच बजे से बोर्ड की वेबसाइट पर उपलब्ध करा दिया गया है। 3 दिसंबर को प्रात: 7 बजे से सायं 7 बजे तक बोर्ड मुख्यालय पर स्थित हेल्पलाइन नं. 01664-254000 पर भी परीक्षा परिणाम की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
यह परिणाम 2 दिसंबर को शाम पांच बजे से बोर्ड की वेबसाइट पर उपलब्ध करा दिया गया है। 3 दिसंबर को प्रात: 7 बजे से सायं 7 बजे तक बोर्ड मुख्यालय पर स्थित हेल्पलाइन नं. 01664-254000 पर भी परीक्षा परिणाम की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
Friday, December 2, 2011
Result of HTET
Haryana Board of school Education has announced the result of Haryana Teacher Eligibility Tet of Category-I, Category II and Category -III.
To know your result of HTET. Please click the following link
Please click here to know your HTET result
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Please click here to know your HTET result
Wednesday, November 30, 2011
गरीब बच्चों के दाखिले के लिए हेल्पलाइन शुरू
नई दिल्ली:शिक्षा के अधिकार कानून के तहत नर्सरी दाखिले में 25 फीसदी गरीबी कोटे की सीटों पर दाखिले के लिए वरिष्ठ वकील अशोक अग्रवाल ने एक हेल्पलाइन शुरू की है। इसका मकसद निजी स्कूलों में गरीबों के लिए आरक्षित सीटों पर गरीब बच्चों का दाखिला सुनिश्चित करना है। शिक्षा के अधिकार कानून में सभी स्कूलों में 25 फीसदी मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की बात कही गई है। वकील अशोक अग्रवाल ने बताया कि सोशल जूरिस्ट संस्था की ओर से हेल्पलाइन शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि स्कूल में दाखिला लेना प्रत्येक बच्चे का कानूनी अधिकार है। कमजोर और पिछड़े वर्ग के बच्चे निजी स्कूलों में नर्सरी कक्षा में दाखिला ले सकते हैं और आठवीं तक मुफ्त में शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। आरटीई कानून के तहत निजी और सरकारी स्कूल गरीब बच्चों को दाखिला से मना नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि फोन करने वाले लोगों को यह बताया जा रहा है कि दाखिले के लिए कौन-कौन सा प्रमाण पत्र जरूरी है और अगर नहीं है तो तुरंत बनवाने की बात कही जा रही है। गरीबी कोटे के लिए आय प्रमाण बेहद जरूरी होता है। ईडब्ल्यूएस कोटे की राशि तय करने की मांग: नर्सरी दाखिले की शुरुआत होने से पहले ही निजी स्कूलों ने आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों पर होने वाले खर्च के भुगतान को लेकर सरकार पर सवाल खड़े किए हैं।
स्कूलों का कहना है कि ईडब्ल्यूएस कोटे के बच्चों पर होने वाली खर्च की राशि सरकार की ओर से अभी तक तय नहीं की गई और न ही इसके भुगतान के लिए ठोस कारवाई की गई। दरअसल, शिक्षा के अधिकार कानून के मुताबिक निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस के तहत 25 प्रतिशत बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देने के साथ-साथ यूनिफार्म और किताब-कॉपी देने की बात है
स्कूलों का कहना है कि ईडब्ल्यूएस कोटे के बच्चों पर होने वाली खर्च की राशि सरकार की ओर से अभी तक तय नहीं की गई और न ही इसके भुगतान के लिए ठोस कारवाई की गई। दरअसल, शिक्षा के अधिकार कानून के मुताबिक निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस के तहत 25 प्रतिशत बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देने के साथ-साथ यूनिफार्म और किताब-कॉपी देने की बात है
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