चंडीगढ़, जागरण संवाददाता : राज्य में अतिथि अध्यापकों के अनुबंध को बार-बार बढ़ाने व उन्हें पदों पर बरकरार रखने पर पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की खंडपीठ ने सरकार से पूछा है कि जिन अतिथि अध्यापकों का अनुबंध खत्म होने जा रहा है, उनको दोबारा रखा जाएगा या उनकी जगह नियमित नियुक्ति की जाएगी। कोर्ट ने हरियाणा के शिक्षा सचिव को 16 मार्च तक हलफनामा दाखिल कर इस बारे में पूरी जानकारी देने को कहा है। कोर्ट ने शिक्षा विभाग द्वारा हाईकोर्ट में दायर पूर्व हलफनामे पर सवाल उठाते हुए यह आदेश जारी किए। हाईकोर्ट में दाखिल पूर्व हलफनामे में विभाग ने कहा था कि जेबीटी, मास्टर्स व प्रवक्ता पदों की नियमित भर्ती के बाद अतिथि अध्यापकों को हटा दिया जाएगा। विभाग ने यह भी बताया गया था कि सभी रिक्त पद 31 मार्च तक नियमित भर्ती से भर दिए जाएंगे। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता जगबीर मलिक ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार अतिथि अध्यापकों का कार्यकाल बार-बार बढ़ा रही है और नए जेबीटी अध्यापकों की नियुक्तियों के बावजूद एक भी अतिथि अध्यापक को नहीं हटाया गया है। इसके विपरीत समायोजन नीति के नाम पर पूर्व में हटाए गए अतिथि अध्यापकों को दोबारा एडजस्ट किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब 31 मार्च को अतिथि अध्यापकों का अनुबंध समाप्त हो रहा है। इसलिए सरकार इनके दबाव में कार्यकाल फिर बढ़ा सकती है। वकील ने आरोप लगाया कि सरकार अतिथि अध्यापकों को हटाने की बजाय उनके वेतन में वृद्धि सहित कई प्रकार के अन्य लाभ भी दे रही है और गेस्ट टीचर पांच वर्षो से अपने पदों पर बने हुए हैं। गौरतलब है कि तिलक राज नामक व्यक्ति ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अतिथि अध्यापकों को अनुबंध पर रखने व उनका अनुबंध बार-बार बढ़ाने को चुनौती दी हुई है।
No comments:
Post a Comment