Thursday, December 2, 2010

वक्त-बेवक्त की कॉल से मिलेगी मुक्ति

ठ्ठ जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली मोबाइल फोन ग्राहकों को अब अनचाही कॉल से थोड़ी मुक्ति मिल सकेगी। टेलीकॉम नियामक ट्राई ने वक्त-बेवक्त फोन करने वाली टेलीमार्केटिंग कंपनियों के खिलाफ कड़े नियम तय किए हैं। ये कंपनियां अब रात के नौ से सुबह नौ बजे तक न तो कॉल कर सकेंगी और न ही एसएमएस। नियम का पालन नहीं करने वाली टेलीमार्केटिंग कंपनियों पर 2.5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा। इन कंपनियों की सेवा भी बंद करने प्रावधान किया गया है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने बुधवार को इस बारे में नए दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं। ये दिशानिर्देश एक जनवरी, 2011 से लागू होंगे। टेलीमार्केटिंग कंपनियों को विशेष टेलीफोन नंबर दिए जाएंगे, जो 70 से शुरू होंगे। इन नंबरों से आने वाली कॉल को कोई भी पहचान सकेगा। नियामक ने साफ कहा है कि रात्रि से सुबह तक कॉल नहीं करने का प्रावधान सभी फोन ग्राहकों के लिए लागू होगा। अभी कंपनियां डू नॉट कॉल (कॉल नहीं करें) रजिस्टर का गलत फायदा उठा रही थीं। इस रजिस्टर में दर्ज फोनधारकों के नंबरों पर टेलीमार्केटिंग कंपनियां कॉल नहीं कर सकती हैं। अब ट्राई ने ग्राहकों को अपनी पसंद से कॉमर्शियल कॉल लेने का विकल्प दे दिया है। अगर ग्राहक चाहे तो कोई भी कॉमर्शियल काल नहीं लेने का विकल्प चुन सकता है। यह एक तरह से कॉल नहीं करें सूची के समान है। अगर ग्राहक चाहे तो अपनी इच्छा के मुताबिक कुछ क्षेत्रों का चयन कर सकता है, जिनसे संबंधित टेलीमार्केटिंग कंपनियां उन्हें फोन कर सकेंगी। इसके तहत ट्राई ने सात सेवाओं की सूची दी है। इसमें बैंकिंग व वित्तीय उत्पाद, रियल एस्टेट, शिक्षा, स्वास्थ्य, उपभोक्ता सामान, संचार, ऑटोमोबाइल्स और मनोरंजन व पर्यटन शामिल हैं। इसका चयन करने वाले ग्राहकों को एक तरह से कॉल करें की श्रेणी में रखा जा सकता है। अगर ग्राहक चाहे तो वह उक्त दोनों में से कोई भी विकल्प का चयन नहीं कर सकता है। ऐसी स्थिति में भी उसके पास रात्रि में कॉल नहीं की जा सकेगी। इस नियम को तोड़ने वाली कंपनियों को पहली गलती पर 25 हजार रुपये, दूसरी गलती पर 75 हजार रुपये तक का दंड भरना पड़ सकता है। तीसरी बार दंड राशि बढ़कर 80 हजार रुपये, चौथी बार 1.25 लाख रुपये और पांचवी बार 2.5 लाख रुपये तक हो जाएगी। इसके बाद भी अगर टेलीमार्केटिंग कंपनी अपनी हरकतों से बाज नहीं आती है तो उसके फोन नंबर प्रतिबंधित कर दिए जाएंगे। यही नहीं यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उस कंपनी को अन्य कोई भी टेलीफोन ऑपरेटर सेवा नहीं दे सके। वर्ष 2007 में पहली बार ट्राई ने अनचाहे कॉलों पर रोक लगाने की कोशिश की थी लेकिन उसका अभी तक कोई खास असर नहीं दिखाई दिया है। अब देखना है कि प्राधिकरण की नई पहल सफल होती है या नहीं।

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