
हालांकि राज्य सरकार की घोषणा के अनुसार अब तक ज्यादातर स्कूलों में यह सुविधा उपलब्ध हो जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इसे अधिकारी और मंत्री भी स्वीकार करते हैं कि ऐसे प्रदेश में जहां सर्दियों के दौरान कई जिलों में तापमान शून्य से पांच डिग्री नीचे तक चला जाता है,वहां बच्चों को जमीन पर बैठा कर पढ़ाना ज्यादती है। बावजूद इसके इस समस्या का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है।
उल्लेखनीय है कि सरकारी स्तर पर कई वर्षों से इसको लेकर अभियान चल रहा है। सर्वशिक्षा अभियान के तहत एक बार कुछ स्कूलों में ड्यूल-डेस्क भेजे भी गए लेकिन वे इतने घटिया क्वालिटी के थे कि बच्चे बैठ ही नहीं पाए। बताते हैं कि वे ड्यूल-डेस्क कबाड़ से बनाए गए थे।
शिक्षक नेता वजीर सिंह कहते हैं कि यह एक बड़ी समस्या है,हर स्कूल में यह सुविधा प्राथमिकता से उपलब्ध होनी चाहिए। महज बीस प्रतिशत स्कूलों में ही यह सुविधा है। प्रदेश के बहुत से स्कूलों में तो अत्यंत विकट स्थिति है, जहां बच्चों के लिए दरी पट्टी तक नहीं उपलब्ध है। ऐसे स्कूलों में बच्चों को अपने घरों से दरी पट्टी लेकर आना पड़ता है।
इस वित्तीय वर्ष में सभी स्कूलों में ड्यूल-डेस्क पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। जिला स्तर पर खरीद करने की अनुमति देने पर विचार चल रहा है। जल्द अधिकारियों की बैठक कर अंतिम निर्णय ले लिया जाएगा।
गीता भुक्कल, शिक्षा मंत्री, हरियाणा
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