झज्जर प्रदेश के दो विश्वविद्यालयों में नियमों को ताक पर रख कर लॉ जैसे महत्वपूर्ण विषय की डिग्री दी जा रही है। आरटीआई के जरिए विश्वविद्यालयों की डिग्री देने की इस दोहरी नीति का खुलासा हुआ है। अफसरों को नियमों में ढील दी गई है।
24 अफसरों को दी लॉ की मंजूरी
सरकार ने 9 आईएएस और 15 एचसीएच अधिकारियों को लॉ करने के लिए मंजूरी दी हुई है। प्रदेश में लगातार अलग-अलग स्थानों पर अपनी सेवाएं देने के दौरान इन अधिकारियों ने विश्वविद्यालयों से नियमित रह कर लॉ की डिग्री हांसिल की है। ये सभी अधिकारी विश्वविद्यालयों में एडमीशन लेने के दौरान भी चंडीगढ़ समेत प्रदेश के विभिन्न जिलों में अलग-अलग पदों पर रहे उनके तबादले भी होते रहे। इस दौरान ये अधिकारी एमडीयू, कुविवि एवं पंजाब विवि, चण्डीगढ़ में नियमित कक्षाएं भी अटेंड करते रहे।
ये हैं 9 आईएएस अधिकारी:
इनमें केके खण्डेलवाल, डीडी गौतम, एमबी बिधान, एसके जोशी, बलराज सिंह, हरदीप, जयवंती श्योकन्द, बलवान व एसआर गौड़ मुख्य हैं।
ये हैं 15 एचसीएच अधिकारी
जिन राज्य सिविल सेवा के अधिकारियों को लॉ की मंजूरी दी गई उनमें जगतार सिंह, एलपीएस तोमर, पीके शर्मा, जीएल यादव, यशपाल यादव, कमलेश कुमार, सतबीर सिंह सैनी, जगदीप, जगनिवास, गीता भारती, हरदीप सिंह, विनय सिंह और सुशील कुमार शामिल हैं। राज्य सरकार के पर्सनल विभाग के जन सूचना अधिकारी के अनुसार आईएएस केके खण्डेलवाल, हरदीप कुमार ने पंजाब विश्वविद्यालय से तथा एचसीएच पीके शर्मा व जी एल यादव ने नियमित रूप से ईवनिंग क्लासेस से एमडीयू रोहतक से लॉ की डिग्री ली।
इनके अलावा जिन आईएएस व एचसीएस अधिकारियों को कानून की नियमित ईवनिंग क्लासेस से पढ़ाई की अनुमति मिली। सबसे बड़ी बात यह कि जिन 9 आईएएस अधिकारियों को कानून की नियमित पढ़ाई के अनुमति मिली उनमें से केवल डीडी गौतम ने ही केयुके में दाखिला लिया बाकि सभी अधिकारियों ने पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़ में नियमित पढ़ाई के लिए
दाखिला लिया।
सवाल जो खड़े हुए हैं
1. सवाल यह उठता है कि 70 किलोमीटर दूर से कोई अधिकारी नियमित रुप से कैसे कक्षा में हाजिर हो सकता है?।
2. जिन अधिकारियों को अनुमति मिली उनके तबादले भी होते रहे हैं क्या उस दौरान उन्होंने नियमित रुप से ईवनिंग क्लासेस लीं?।
3. क्या एक आईएएस और एचसीएच स्तर का अधिकारी शाम पांच बजे के बाद अपनी सेवाओं में से कक्षाओं के लिए समय निकाल सकता है?।
4. क्या इन अधिकारियों को विश्वविद्यालयों ने किन्ही विशेष नियमों के तहत यह सुविधा दी गई?।
5. तीन साल से पहले अगर किसी व्यक्ति ने फर्जी कागजों के जरिए यह डिग्री ली हो तो उसकी जांच कैसे होगी? क्योंकि मदवि तीन साल पहले तक के रिकार्ड को नष्ट कर देता है।
6. लॉ के लिए दाखिला लेने वाले सभी अधिकारियों के इंट्रेंस टेस्ट क्लीयर हो जाते हैं। जबकि अन्य विद्यार्थियों के क्यों नहीं?
ये हैं लॉ के लिए नियमशिक्षा स्नातक होनी चाहिए।
३ साल तक कक्षाओं में नियमित उपस्थिति होनी चाहिए।
लॉ करने वाले विद्यार्थी की कक्षा में उपस्थिति 70 फीसदी से अधिक होनी चाहिए।
ईवनिंग क्लासेस की सुविधा ले रहे हैं तो उसमें भी यही नियम लागू होते हैं, लेकिन इस कक्षा के लिए विद्यार्थी को अपने अधिकारी का नो-आब्जेशन लैटर देना होगा।
यह सुविधा उसी व्यक्ति को दी जा सकती है जो कि नौकरी पेशा हो, चाहे वह सरकारी में हो या निजी संस्थान में इसके अलावा किसी व्यवसाय से जुड़ा हो।
यहां लिया एडमिशन
1. कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय- जगतार सिंह, एलपीएस तोमर, सतबीर सिंह सैनी, जगदीप, सुशील कुमार ने दाखिला लिया। इसके अलावा गीता भारती, लाला हंसराज लॉ कालेज, सिरसा।
2. महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय- पीके शर्मा, यशपाल यादव, जी एल यादव, जगनिवास ने दाखिला लिया।
3. पंजाब विश्वविद्यालय,चंड़ीगढ़-जगतार सिंह, कमलेश कुमार, एल पी एस तोमर, हरदीप सिंह, विनय सिंह ने
दाखिला लिया।
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